कुछ खो गया है ...

कुछ खो गया है ...
आज जरूर कुछ खो गया है ।

क्यों कि
अब
सीसे के सामने सजना
अच्छा लगता है ।

घर से बाहर जाना
अच्छा लगता है ।


लेकिन मोहल्ले का दोस्त 'पिंकू'
अच्छा नहीं लगता ।

मुन्नी ,
जिसके साथ मै खेलता था
उसे देख कर
शर्म सी आती है ।

शायद,
जरूर
कुछ खो गया है ।

अब पापा कि डांट चुभती है ,
माँ का आँचल भी छोटा लगता है ,
क्यों कि
शायद
कुछ खो गया है ।

अब साइकिल के लिए लड़ना
अच्छा नहीं लगता ।

पढ़ाने वाले सर का इंतज़ार करना नहीं पड़ता
क्यों कि
शायद
अब
खुद
पढ़ाना पड़ता है ।


कुछ बोझ सा महसूस होता है ,
लोग तो उसे
जिम्मेदारी कहतें है ,
लेकिन
मुझे लगता है ,
शायद कुछ खो गया है , आज ।

कुछ तो जरूर खो गया है ।
शायद ,
ईदगाह वाले 'हामिद का चिमटा' ?
या फिर
'हामिद' ही खो गया है ?

कुछ तो जरूर खो गया है ,
शायद ,
कुछ खो गया है ।

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