हम आपके करीब ...नहीं रहतें है .

वो कहतें है ...
हम अपने अकेलेपन से डरतें है
अपने इस अँधेरे से डरतें है
अपने इस सपने से भी डरतें है ।

वो कहतें है ,
हमसे इसीलिए
आप हमारे करीब रहतें है ।
वो हमको मासूम कहतें है
खुद सपनो से दूर
हमे सपनो मै रहने वाला कहतें है ।

वो कहतें है
हमसे
इसीलिए
आप हमारे करीब रहतें है।
कितने मासूम है
वो
जो हमे मासूम कहतें है
नहीं जानतें है ,
वो हमे
की
हम अपने सूनेपण से बातें करतें है
अँधेरे को और भी अँधेरा करतें है
सपनो को भी एक नया सपना देतें है

न कहती हमारी ख़ामोशी
उनको कुछ भी
जो हमे
मासूम कहतें है ,
अगर हमारा

अँधेरा,
सूनापन और
सपने
न कहते हमको
की जब तुम होते हो
हमारे साथ
डर लगता है,

सूने को सूनेपन से
अंधेर को और अँधेरे से
सपनो को एक नए सपने से

क्यों की

तुम सीमाओं को भी नयी सीमा -
का सपना देते हो

न होता
सीमाओं को नयी सीमा का डर
जिनसे अब हम दूर रहतें है ,
तो हम भी कह देते उनको
जो हमे मासूम कहतें है,
की
इसीलिए
हम आप के करीब रहतें है ।

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