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यदि आज धरती के भगवान् यानी डॉक्टर पर प्रश्नचिंह लग रहा है तो वह  स्वाभविक है , क्यूकि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता  कि डॉक्टर कि डिग्री लेने के बाद आप कितनी  बड़ी शपथ लेतें है, प्राइवेट प्रक्टिस और अधिक पैसे कि चाह ने इस पाक चेत्र  को भी एक बिज़नस बना दिया है , और अगर ये बिज़नस है तो लाभ को ही प्राथमिकता दी जाती है , और  सामाजिक उत्तरदायित्व  अनाथ हो जाता है . तथा कथित कुछ जिम्मेदार डॉक्टर कि वजह से  गरीब मरीज मर भी जाये तो इसमें डॉक्टर साहब कि कोई जिम्मेदारी नहीं होती, क्यूकि उनके लिए ये मरीज मात्र एक केस होता है , जवाबदेही तो होती नहीं किसी के प्रति . और आज के माहौल मे यदि ये कहा जाये कि डिग्री के बाजार मे डॉक्टर कि डिग्री भी बांटी जा रही है तो समस्या कि जड़ स्वतः दिखाई देती है , तो आप ऐसे किसी भी व्यक्ति से जिम्मेदारी कि उम्मीद कैसे कर सकतें है , और रही  मरीज कि बात तो हम इंसानी लोगो के पास कहने के लिए तो है ही कि "अच्छे लोगो को भगवान् अपने पास जल्दी बुला लेतें है." लेकिन प्रश्न ये है कि ऐसे महगी डिग्री धारक डॉक्टर को भी लोग अच्छा ही कहतें है, तो इनका भगवान् कहाँ है ?

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