उच्च सदन (rashtriye sahara)


उच्च सदन , राज सभा मे सदस्यता  का पैमाना था अपने अनपे छेत्र विशेष मे आगे होने वाला यथा समाज सेवा मे  , मनोरंजन मे  , अर्थशाश्त्र आदि मे . किन्तु आज के  इस राजनीतिक परिवेश  मे शायद ये पैमाना बदलता नज़र आ रहा है , जिसका उदाहरण झारखण्ड मे राज्य सभा चुनावों के रद्द होने की घटना मे देखा जा सकता है . लोक सभा चुनाव तो पहले से ही बदनाम है , धन शक्ति और तन शक्ति  को लेकर . लेकिन तथा कथित सत्ता लोलुप राजनीतिज्ञों की वजह से उच्च सदन की उच्चता पर भी प्रश्नचिन्ह लगता जा रहा है . किसी भी सदन की सदस्यता पाने के पीछे देशहित या समाज सेवा को ही दिखाया जाता है, किन्तु प्रश्न ये है की यदि आप हर एक प्रकार से सक्चम है तो कुर्सी के लिए क्यों परेशां है ? सेवा कुर्सी की मोहताज नहीं है . आज सभी पार्टी युवावों को आकर्षित करने मे लगी है और युवावों को मुख्या राजनीतिक धारा से जोड़ना चाहती है लेकिन ऐसे ही यदि उच्च सदन मे कुर्सियों के बिकने की खबर आती रही तो क्या सन्देश जायेगा युवावों को और कैसा होगा हमारे देश का भविष्य ?

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