No Publisher only PUBLISH! (iNext on 25th may 2012)
"तुमने मेरा ब्लॉग देखा ? मैंने अपना नया वाला आर्टिकल पोस्ट कर दिया है, पिलीज़ उसे फेस बुक पर ' Like' जरूर करना." जी हाँ ! ये मै नहीं कह रहा हू ये वो लोग कह रहे है , जो दिन-रात अपने - अपने ब्लोग्स पर अपने विचार लगातार लिख रहें है , और पब्लिश कर रहें है . इसके लिए उन्हें किसी पब्लिशर के यहाँ लाइन नहीं लगानी पड़ती है. आज लेखन के क्षेत्र मे ब्लॉग के कारण एक क्रन्तिकारी परिवर्तन हुआ है. आज लेखक की पहचान वो पुरानी वाली पहचान नहीं है , जहाँ वो लम्बी सफ़ेद दाड़ी के साथ , एक झोला लिए 'बेचारे ' की तरह प्रकाशक के चक्कर लगता था , और तब लेखक का मतलब समझा जाता था कोई 'रिटायर बुड्डा आदमी '. आज लेखन के क्षेत्र मे उम्र की कोई सीमा नहीं है , एक स्कूल जाने वाला बच्चा भी लिख रहा है , कॉलेज का युवा भी , एक नौकरीपेशा भी , और जो परमपरागत लेखन करतें है वो भी , कोई भी ब्लॉग ने अछूतें नहीं है.
जब ब्लोगिंग का समय शुरू हुआ था , खास तौर पर हिंदी लेखन मे, तब ब्लॉग पर लिखा हुआ असली साहित्य नहीं माना जाता था और जो तथाकथित बड़े -बड़े लेखक थे वो लोग इन ब्लॉग रायटर को लेखक नहीं मानते थे. आज शायद ही ऐसा कोई लिखने का शौखीन हो जो ब्लॉग या इन्टरनेट के किसी दूसरे मध्यम मे न लिखता हो . आज लोगो के हाँथ मे, ब्लॉग के रूप मे ऐसा माध्यम है , जहाँ वो अपना विषय स्वयं चुन सकता है , और बिना किसी इंतज़ार के लोगो कि प्रतिक्रिया भी तुरंत प्राप्त कर सकता है, और सुधर भी कर सकता है , और फेसबुक और ट्विट्टर जैसे नेटवर्किंग साईट के मध्यम से प्रसिद्धी की रेस मे भी शामिल हो सकता है , आप रातो- रात एक विचार का मुद्दा खड़ा कर सकतें है. इन सब के बीच मे कुछ लोग इसका गलत फायदा भी उठा रहे है और गलत चीजों के प्रचार के लिए ब्लॉग का इस्तेमाल कर रहें है , लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पूरा मध्यम ही गलत है. और कई लोग तो इसे अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाने के साथ - साथ इसको अपने रोजगार का माध्यम भी बना चुकें है, जो कि इसके एक और आयाम को दर्शाता है .
बहुत सी न्यूज़ मीडिया की वेब साईट है जहाँ उन्होंने लेखको को खुला मंच दिया है, और जहाँ अपने ब्लॉग के माध्यम से एक स्वस्थ चर्चा का खुला युद्ध सा होता दिखाई देता है . यहाँ पर लोगो को विषय विशेष पर अपने विचार व्यक्त करने का एक अच्छा अवसर होता है. और तो और करेंट विषय पर लोग कितनी दिशायों मे सोच सकतें है ये भी स्पष्ट दिखाई देता है. और भारत जैसे लोकतंत्र मे यदि हम कहें कि "ब्लॉग एक डेमोक्रेटिक वाल " कि तरह काम कर रहा है तो भी अतिशयोक्ति न होगी. बहुत से अखबारों मे , ब्लोगर्स के लिए अलग से जगह निर्धारित है , जो स्वयं मे ब्लॉग कि सफलता और जरूरत का एहसास कराता है. आज लोगो के कितने ग्रुप और क्लास्सेस बन चुके है इन्ही ब्लोग्स पर , जहाँ वो एक अध्यापक कि तरह भी काम कर रहें है , नए - नए विषयों के बारे मे हमारे युवा अधिक से अधिक जानकारी ब्लॉग पर शेयर कर के कितने लोगो का काम आसान कर रहे है. आज ब्लॉग के माध्यम से 'ब्लॉग क्रेअटर ' ही लेखक है , संपादक है , प्रूफ रीडर है और अपने ब्लॉग को सजाने वाला डिजाइनर भी वही लेखक है , तो यहाँ पर उसे किसी के साथ अपनी रचना को लेकर कोई समझौता भी नहीं करना पड़ता है.
आज के इस दौर मे लोग थोड़ा अकेले भी हो गए है , तो जहाँ पर ब्लॉग उन्हें एक सामाजिक मंच देता है वही पर शांति और सुकून के पलों मे उनके लिए एक प्राइवेट दोस्त या प्राइवेट डायरी कि तरह भी काम करता है , जो कि व्यक्ति और ब्लॉग के बीच का डायलोग होता है. तो देखा जाये तो माध्यम एक और उपयोगिताये अनेक है. बस आप को करना है पब्लिश और आप आ गए लोगो के बीच अपने विचारो के साथ . हाँ ! एक चीज़ है कि कही न कही भाषा के स्तर पर कुछ समझौता जरूर करना पड़ता है , लेकिन जैसा कि पहले के सूफी और संतो ने कहा है, और हमारे बड़े बड़े लेखको ने भी कहा है कि मन की बात कहना ज्यादा जरूरी है , और यदि मन की बात न कह पाए और भाषा श्रेष्ठ हो , तो भी तो वह लिखा हुआ किसी काम का नहीं है, अतः ये आलोचना कि भाषा का स्तर गिरा है , इसे सुधारने के लिए उचित प्रयास तो किया जा सकता है , लेकिन लिखना बंद नहीं किया जा सकता है. तो फिर चलें वहां , जहाँ आप को 'पेन की इंक' नहीं खर्च करनी है , आप को कीबोर्ड पर उँगलियों को 'अक्षरों की सैर' करानी है.
Comments
Post a Comment