सावधानी हटी दुर्घटना घटी!

आज सभी के जीवन की रफ़्तार बहुत बड़ गयी है. लोग एक दूसरे   के आगे जाना चाहतें हैं, आगे जाने में कोई समस्या नहीं है लेकिन समस्या वहां शुरू होती है जब हम दूसरों को कुचल कर आगे जाने के बारे में सोचना शुरू कर देतें हैं . यदि आज के रोड ट्राफिक को वर्तमान राजनीतिक परिवेश से जोड़ा जाये तो दोनों में  काफी कुछ समानता दिखाई देती है. कहने का तात्पर्य ये है कि सड़क पर सबसे पहले हम पैदल चलतें है , फिर साइकिल से  चलतें हें , फिर दो पहिया वाहन फिर चार पहिया वाहन से चलतें हैं . और हर एक स्तर पर जिम्मेदारी के कुछ पैमाने समान और कुछ पैमाने  अलग -अलग होतें हैं . पैदल चलते समय, साइकिल से चलते समय , दो पहिया वाहन से चलते समय और चार पहिया वाहन से चलते समय भी , सभी स्थितियों में चालक से ये अपेक्षा की जाती है की उसकी वजह से अन्य किसी को कोई समस्या न हो.  हमे इस बात का ध्यान रखना होता है कि हमारी गलती किसी और की समस्या का कारण न बने . किन्तु सोचने की बात ये है की पैदल से लेकर चार पहिया वाहन तक हमारी जिम्मेदारी बढती जाती है, जैसे सड़क के सबसे बाएँ पैदल फिर साइकिल और फिर दो पहिया वाहन चलता है और सड़क के बीचो बीच चार पहिये वाले का कब्ज़ा होता है , इसीतरह राजनीति में भी पहले आप कार्य कर्ता होतें हैं फिर क्षेत्र प्रमुख बनतें हैं फिर प्रदेश प्रमुख उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करतें हैं . यानी कि राष्ट्रीय स्तर तक आते -आते आप की भूमिका चार पहिया वाहन की तरह राजनीतिक सड़क के एकदम बीचो - बीच हो जाती है जहाँ पर आपका एक  गलत मोड़ बहुत बड़ी दुर्घटना को जन्म दे सकता है. खैर यहाँ पर किसी भी स्तर पर यदि आप अपनी भूमिका का निर्वहन नहीं करतें है और कोई भी गलत मूव लेतें हैं तो दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है. 

ट्राफिक नियम का मुख्य उद्देश्य होता है सुरक्षित तरीके से अपने गन्तब्य स्थान तक पहुंचना  और इसी तरह एक ईमानदार राजनीतिक पार्टी का मुख्य उद्देश्य होता है राष्ट्र हित . लेकिन दोनों ही जगह हम अपने बगल वाले से आगे जाने के चक्कर में सभी नियमों और उदेश्यों को भूल जातें है . आज कल सड़क के ट्राफिक की तरह राजनीतिक सड़क का ट्राफिक भी  बढता हुआ दिखाई दे रहा है और सभी दल २० १ ४ की रेस जीतने के जोश में अपने उद्देश्य को भुला कर एक दूसरे को ओवरटेक करने में लगे हुए हैं . सोचने की बात ये है कि ये चार पहिया वाहन वाले तो लाइसेंस धारी होतें हैं और अगर इनकी वजह से अन्य लोगों को परेशानी होती है तो उनका चलान कटता है या बहुत बड़ी गलती पर लाइसेंस जप्त हो जाता है . लेकिन राजनीतिक सड़क में जो लोग मुख्य भूमिका में होतें हैं , उन्हें तो आम जनता वोट के रूप में लाइसेंस देती है लेकिन यहाँ पर लाइसेंस रद्द करने की कोई भी प्रक्रिया नहीं है. आप को पाँच साल तक इसी चालक (राजनीतिक ) को झेलना पड़ेगा , चाहे वह अपने स्वार्थ के लिए कितनी ही बार आप के ऊपर अपनी गाड़ी चढ़ा के आगे वाले को मारने के लिए चला जाये . संवैधानिक परिवेश में यदि हम " राईट तो रिजेक्ट " के नियम तो देखें तो यह लाइसेंस रद्द करने जैसा ही लगता है, जहाँ पर यह सुनिश्चित किया जा सकता है की मुख्य भूमिका होने के बाद भी यदि नियमों की अनदेखी की जाये तो आप का चलान अवश्य कटेगा . कहने का तात्पर्य ये है की सड़क पर चलते समय यदि सावधानी हटी तो दुर्घटना जरूर घटेगी चाहे वह राजनीतिक सड़क ही क्यों न हो. अतः नियम का पालन करें नहीं तो लाइसेंस कैंसिल हो सकता है और हाँ ! हेलमेट और सीट बेल्ट लगाना बिलकुल मत भूलियेगा .

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