हमारा इन्वेस्टमेंट: टाइम और प्यार
जिन्दगी में सभी लोग आगे बढ़ना चाहतें हैं जो की स्वस्थ समाज के लिए अच्छा है। लेकिन हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आगे बढ़ने के साथ - साथ कहीं हम कुछ पीछे तो नहीं छोड़ रहें हैं। कहने का मतलब है कि कुछ रिश्ते या फिर कुछ अपने चाहने वाले दोस्त। मेरा इशारा समाज के उस वर्ग की तरफ है जो युवा है और कॉर्पोरेट जगत में काम करता है। ये टेक सेवी वर्ग बहुत ही प्रेसर में अपनी दिनचर्या शुरू करता है , ये सुबह से ही अपने पूरे दिन को प्लान करता है और वीक एंड तक उसका यही हाल रहता है। सुनने में अच्छा लगता है कि सभी कुछ तो नियम के हिसाब से हो रहा है और सुनने में ये काफी कुछ अनुशासित भी लगता है। लेकिन अब इस युवा वर्ग के उस दूसरे पहलू को जानने का प्रयास करतें हैं जहाँ वो जितना आगे जा रहा है, जीवन में बहुत कुछ कीमती पीछे छोड़ता जा रहा है । कॉर्पोरेट जगत में वही आगे बढ़ सकता है जो तुलनात्मक रूप से कंपनी के लिए फायदे का काम कर रहा हो। और इसके लिए गला काट कम्पटीशन होता है। लोग ओवर टाइम काम करतें हैं। स्ट्रेस को मिटाने के लिए सिगरेट का अधिक से अधिक प्रयोग करतें हैं। वीक एंड में कोई बिज़नेस डील फाइनल करने के लिए लेट नाईट पार्टी करतें हैं। किसी से आगे जाने के लिए अपने स्वाभिमान या मूल्यों से समझौता तक करने को तैयार रहतें हैं। यहाँ पर इस समस्या का सामान्यीकरण नहीं किया जा रहा है। क्युकी आज भी बहुत से जिम्मेदार कॉर्पोरेट वर्कर्स हैं जो किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करने के लिए किसी भी अनुचित साधन का प्रयोग नहीं करतें हैं।
लेकिन जो युवा वैश्वीकरण के नकारात्मक पहलुओं को अपना कर , अपनों से ही दूर होतें जा रहें हैं उनके लिए चिंता का विषय है। समाज में सब कुछ गलत ही नहीं हो रहा है। आज की मीडिया और टीवी चैनल में भले ही निरर्थक नाटकों की भरमार हो लेकिन जिस तरह से ये सीरियल्स संयुक्त परिवार को ही अपनी कहानी का एहम हिस्सा बनातें हैं वो कहीं न कहीं समाज को आपस में जुड़ने का ही सन्देश देता है। लेकिन विडम्बना ये है की लोग सकारात्मक पहलुओं की तरफ कम ध्यान देतें हैं और नकारात्मक पहलुओं को तुरंत अपना लेतें हैं। आज यदि किसी सामान्य परिवार का ही उदाहरण लिया जाये जहाँ पर बेटा , बहू , माँ , बाप और एक बच्चा रहतें हैं। घर कर बेटा और बहू यदि कॉर्पोरेट जगत में वर्किंग हैं तो ये दिन -रात मेहनत कर के अपने बच्चे को सारी खुशियां देना चाहतें हैं लेकिन दिन रात की इस मेहनत में और एक बड़ी ख़ुशी की तलाश में वो छोटी खुशियों को नज़र अंदाज कर देतें हैं जैसे उनके बच्चे ने एक नई पेंटिंग बनाई है जो वह अपने पापा मम्मी को दिखाना चाहता है लेकिन पापा -मम्मी के पास टाइम नहीं है. ये वर्किंग माँ -बाप ये भूल जातें हैं की घर में उनकी बूढ़ी माँ ने आज दोनों की पसंदीदा सब्जी बनाई है।
सुनने में तो ये छोटी बातें हैं क्युकी अगर आप को बच्चे को वाटर पार्क ले जाना हैं या समर कैंप कराना है तो पैसे चाहिए , अगर आप अपने परिवार को पिज़्ज़ा पार्टी देना चाहतें हैं तो भी पैसे चाहिए। अगर आप अपने परिवार को विदेश भ्रमण पर ले जाना चाहतें हैं तो भी पैसे चाहिए। लेकिन शायद उस बच्चे की वो पेंटिंग और बूढ़ी माँ की सब्जी भी उतनी ही जरूरी है जितना विदेश जाना या पिज़्ज़ा खाना। अपने परिवार के साथ बैठ कर बच्चे की बातें सुनना और बूढ़े माँ - बाप के साथ चाय पीना भी अपने आप में बहुत कुछ दे जाता है। यहाँ ROI (रिटर्न ओन इन्वेस्टमेंट ) सिर्फ बहुत प्यार है और जो आप ने इन्वेस्ट किया है वो है समय और प्यार। ऐसा इंट्वेस्टमेंट रोज आप को रिटर्न देता है।
तो आज से हम आगे तो बढ़ेगें लेकिन उन लोगो के साथ जिन लोगो ने कभी हमारे ऊपर कुछ इन्वेस्ट किया है और हमेशा करते रहेंगें। क्युकी ये लोग कोई कंपनी नहीं हैं जो अपने इन्वेस्टमेंट का रिटर्न मागेगें। यहाँ पर हमारा इन्वेस्टमेंट टाइम और प्यार होगा।
Comments
Post a Comment