बड़े आदमी की छोटी सोच

हमारे एक मित्र हैं जो की एक व्यायामशाला (ज़िम ) के मालिक है।  शारीरिक रूप से भी खाफी बलिष्ठ हैं।  और आज कल एक सुंदर शरीर की तथाकथित परिभाषा के अनुसार उनके पास बाइसेप्स , चेस्ट , ट्राइसेप्स, सिक्स पेक , वी शेप वैगैरा -वगैरा सभी कुछ है।  अचानक उनसे मुलाकात हुई और कुछ बातों के अदान - प्रदान के बाद जैसे ही मैं चलने को तैयार हुआ और अपना हेलमेट पहनने लगा , उन्होंने मुझे रोक दिया और मेरे ऊपर हँसने लगे।  मेरे पूँछने पर पता चला कि वो मेरे ऊपर इस लिए हँस रहें हैं क्युकि मैं पुलिस के डर से हेलमेट पहन रहा हूँ।  उन्होंने मुझसे कहा कि मैं बहुत डरपोक हूँ और मेरा आत्म विश्वास बढ़ाने के लिए कहा यदि रास्ते में कोई परेशान करे तो मेरा नाम बता देना। मैंने कुछ न बोलने की जरूरत समझी और मुस्कुरा कर आगे बढ़ गया।  

उपरोक्त संवाद से मेरा सामना पहली बार नहीं हुआ है , आज लोगों का आत्म विश्वास बढ़ा है और लोग प्रगतिशील भी हुए हैं लेकिन उन्ही लोगो के बीच कुछ ऐसे लोग हैं जो कुछ खोखले दिखावे को ही अपनी प्रगतिशीलता समझतें हैं। एक सामान्य धारणा है कि यदि मैं किसी क्षेत्र विशेष में काम कर रहा हूँ तो मेरे लिए कुछ नियमों की अनदेखी करना या उन्हें न मानने से मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता।  यथा यदि मैं प्रेस में काम करता हूँ , या सरकारी कर्मचारी हूँ , या किसी राजनितिक पार्टी से हूँ या फिर किसी राजनेता का लड़का हूँ , या मेरे पिता जी बहुत बड़े अधिकारी हैं या बहुत बड़े बिज़नेस मैन हैं और इसी तरह से बहुत से क्षेत्र हैं जो की किसी भी शहर की किसी भी गाड़ी की नेम प्लेट पर लिखा हुआ दिख जायेगा।  

वैसे तो ट्रैफिक नियमानुसार नंबर प्लेट के अपने रूल होतें हैं जहाँ पर गाड़ी नंबर को स्पष्ट रूप से साफ़ -साफ़ लिखा जाना अपेक्षित होता है , लेकिन साफ़ नंबर के स्थान पर व्यक्ति विशेष के विभाग का ही नाम साफ़ -साफ़ दिखाई देता है। कहने का तात्पर्य  ये है कि सरकार को हम किसी भी मुद्दे पर छोड़ना नहीं चाहते लेकिन जहाँ तक अपने कर्तव्यों की बात आती है तो हम उसके प्रति कभी भी जिम्मेदार नहीं होना चाहते।  

आज के इस समाज में हमने ही कुछ भौतिक चीजों और कुछ ओहदों के अनुसार बड़े आदमी और छोटे आदमी की पहचान बना ली है।  जैसा की एक पक्ष ये था की हम अपनी गाड़ियों पर अपने विभाग का बिल्ला लगा कर जन साधारण से अपने को अलग कर लेतें हैं और उसका दूसरा पक्ष ये है की जिन लोगों को अधिकार है की वो हमें ऐसा गलत करने से रोकें वो लोग भी ये सोच कर नहीं मना करतें की जरूर ये कोई "बड़ा आदमी " होगा।  आज के समाज में "बड़े आदमी " की परिभाषा भी बड़ी विचित्र है , यथा जिसके पास ज्यादा पैसे हैं , जिसके पास महगें -महगें मोबाइल हैं , जो ब्रांडेड कपड़े या ब्रांडेड चीजो का इस्तेमाल करे , जो किसी पावरफुल ओहदे पर बैठा हो वही लोग तथा कथित रूप से "बड़े आदमी " हैं।  और बड़े आदमी को किसी भी नियम की अनदेखी करने का हक़ स्वतः ही प्राप्त है , क्युकि जिसके पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो की "बड़े आदमी " की परिभाषा के अन्तर्गत आता है वह सदैव छोटा आदमी है।  

संयुक्त राष्ट्र के सहस्त्राब्दी विकास लक्ष्यों की लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार विश्व भर के सबसे गरीबों की संख्या का एक तिहाई जनसँख्या भारत में रहती है।  और जहाँ पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों की सबसे ज्यादा मृत्यु भी यही होती है वहाँ पर कुछ लोग बड़े और छोटे आदमी का पैमाना कुछ भौतिक वस्तुओं को बनातें हैं।  और जब तक हम अपने अंदर इस तरह का छिछला व्यक्तित्व रखेगें तब तक हम सभी लोग हमेशा छोटी सोच वाले "छोटे आदमी " ही बने रहेगें।  जिस भारत देश की सरकार का नारा "सबका साथ , सबका विकास " है वहाँ पर हम लोग को भी अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। तो अगली बार जब आप अपनी गाड़ी में अपया पद या  विभाग का नाम लिखवा रहें हो तो अपने को "बड़ा आदमी " न समझे , जब गाड़ी चलाते समय आप हेलमेट या सीट बेल्ट इस वजह से नहीं लगा रहें हो कि आप बहुत बड़े बाहुबली हैं या आप के पास बहुत पैसा है तो अपने आप को "बड़ा आदमी " न समझे।  क्युकी आदमी बड़ा विचारों से होता है , और अगर हेलमेट न लगाना और नेम प्लेट पर पद लिखवाने जैसी आप की सोच अभी भी है तो आप अभी भी "बहुत छोटे " आदमी हैं।  

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